मौन की गहराई
व्यक्ति
शब्दों के जाल में फंसा हुआ है. वह दूसरों को भी इस जाल में फंसाने की
कोशिश करता है. वह अपना बहुमूल्य समय व्यर्थ की बातों को सोच कर नष्ट कर
देता है. किसने किससे क्या कहा ? किस बारे में कहा ? ऐसा क्यों कहा होगा ?
आदि. आपको ध्यान रखना है कि आप स्वयं को इस प्रकार की उलझनों से दूर रखें.
अपनी ऊर्जा का उपयोग अनावश्यक बातों अथवा वार्तालाप में न गंवाएं. स्वयं को
मौन में जाने का अवसर दें. उतना ही बोलें जितने की जरुरत हो. मौन की गहराई
ही आपको सही और गलत को पहचानने में मदद करेगी.
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