"एक
दिन कक्षा में एक टीचर ने मजाक में बच्चों से कहा. जो बच्चा कल स्वर्ग की
मिट्टी लायेगा ! मैं उसे ईनाम दूंगी. अगले दिन टीचर ने पूछा ; क्या कोई
बच्चा मिट्टी लाया ?
सब बच्चे खामोश,,,,,,,,अचानक एक बच्ची उठकर टीचर के पास आकर बोली, मैं लाई हूँ स्वर्ग की मिट्टी ! यह लीजिऐ. टीचर ने गुस्से से बच्ची को डांटते हुए कहा, मुझे तू बेवकूफ़ समझती है ? कहाँ से लाई है ये मिट्टी ?
"रोते रोते बच्ची बोली ! मेरी माँ के पैरों के नीचे से, और
सुबकने लगी ! यह सुनते ही टीचर भी भावुक हो गई उसने
सुबकती बच्ची को अपनी छाती से लगा लिया और झरते
आँसुओं के साथ भीगी वाणी में कहा ;हाँ मेरी बेटी तू स्वर्ग
की ही मिट्टी लाई है। और बच्ची की पीठ थपथपाने लगी.
"यह देखकर, कक्षा के सारे बच्चों की आखें, खुशी के आसुंओं से नम हो गईं !
वे खडे होकर तालियाॅ बजाने लगे।
स्वर्ग जैसे कक्षा में ही उतर आया था।
<दिनकर>
प्यारी माँ मुझको तेरी दुआ चाहिए
तेरे आँचल की ठंडी हवा चाहिए
लोरियाँ गा गा के मुझ को सुलाती हैं तू
हर सवेरे मुस्कुरा कर जगाती हैं तू
मुझको इसके सिवा और क्या चाहिये
प्यारी माँ मुझको तेरी दुआ चाहिए..
सब बच्चे खामोश,,,,,,,,अचानक एक बच्ची उठकर टीचर के पास आकर बोली, मैं लाई हूँ स्वर्ग की मिट्टी ! यह लीजिऐ. टीचर ने गुस्से से बच्ची को डांटते हुए कहा, मुझे तू बेवकूफ़ समझती है ? कहाँ से लाई है ये मिट्टी ?
"रोते रोते बच्ची बोली ! मेरी माँ के पैरों के नीचे से, और
सुबकने लगी ! यह सुनते ही टीचर भी भावुक हो गई उसने
सुबकती बच्ची को अपनी छाती से लगा लिया और झरते
आँसुओं के साथ भीगी वाणी में कहा ;हाँ मेरी बेटी तू स्वर्ग
की ही मिट्टी लाई है। और बच्ची की पीठ थपथपाने लगी.
"यह देखकर, कक्षा के सारे बच्चों की आखें, खुशी के आसुंओं से नम हो गईं !
वे खडे होकर तालियाॅ बजाने लगे।
स्वर्ग जैसे कक्षा में ही उतर आया था।
<दिनकर>
प्यारी माँ मुझको तेरी दुआ चाहिए
तेरे आँचल की ठंडी हवा चाहिए
लोरियाँ गा गा के मुझ को सुलाती हैं तू
हर सवेरे मुस्कुरा कर जगाती हैं तू
मुझको इसके सिवा और क्या चाहिये
प्यारी माँ मुझको तेरी दुआ चाहिए..
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