जीवन में बहुत सी चीजें हैं जो हमारा हौसला बढाती हैं, उन्ही में से एक हैं बड़े-छोटे शायरों द्वारा लिखे गए शेर | इस ब्लॉग में मैं आज एक कड़ी की शुरुआत करने जा रहा हूँ जिसमे ऐसे ही चुनिन्दा शेर और पंक्तियाँ प्रकाशित किये जायेंगे जो हमेशा से हमारे हौसलों को पंख देते आये हैं| अगर आप भी ऐसी चुनिन्दा पंक्तियों का संग्रह करते आये हैं तो हमें जरुर लिखे, उन्हें प्रकाशित करने में हमें ख़ुशी महसूस होगी |
1.मुश्किलें दिल के इरादे आजमाती हैं ,
स्वप्न के परदे निगाहों से हटाती हैं ,
हौसला मत हार गिर कर ओ मुसाफिर ,
ठोकरें इन्सान को चलना सिखाती हैं |
2.खुशबू बनकर गुलों से उड़ा करते हैं ,
धुआं बनकर पर्वतों से उड़ा करते हैं ,
ये कैंचियाँ खाक हमें उड़ने से रोकेगी ,
हम परों से नहीं हौसलों से उड़ा करते हैं|
3.मिलेगी परिंदों को मंजिल ये उनके पर बोलते हैं ,
रहते हैं कुछ लोग खामोश लेकिन उनके हुनर बोलते हैं |
4.हो के मायूस न यूं शाम से ढलते रहिये ,
ज़िन्दगी भोर है सूरज सा निकलते रहिये ,
एक ही पाँव पे ठहरोगे तो थक जाओगे ,
धीरे-धीरे ही सही राह पे चलते रहिये .
5. वो पथ क्या पथिक कुशलता क्या ,जिस पथ में बिखरें शूल न हों
नाविक की धैर्य कुशलता क्या , जब धाराएँ प्रतिकूल न हों ।
6. जब टूटने लगे होसले तो बस ये याद रखना ,बिना मेहनत के हासिल तख्तो ताज नहीं होते ,
ढूंड लेना अंधेरों में मंजिल अपनी ,जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते .
7. यह अरण्य झुरमुट जो काटे अपनी राह बना ले ,
कृत दास यह नहीं किसी का जो चाहे अपना ले
जीवन उनका नहीं युधिष्ठिर जो इससे डरते हैं,
यह उनका जो चरण रोप निर्भय होकर चलते हैं |
8. कुछ बात है की हस्ती मिटती नहीं हमारी ,
सदियों रहा है दुश्मन दौरे -जमाँ हमारा |
9.समर में घाव खाता है उसी का मान होता है,
छिपा उस वेदना में अमर बलिदान होता है,
सृजन में चोट खाता है छेनी और हथौड़ी का,
वही पाषाण मंदिर में कहीं भगवान होता है |
10.कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं ,
जीता वही जो डरा नहीं |
अगली कड़ी शीघ्र प्रकाशित की जाएगी | इस कड़ी के बारे में आपने विचार जरुर बताएं |
1.मुश्किलें दिल के इरादे आजमाती हैं ,
स्वप्न के परदे निगाहों से हटाती हैं ,
हौसला मत हार गिर कर ओ मुसाफिर ,
ठोकरें इन्सान को चलना सिखाती हैं |
2.खुशबू बनकर गुलों से उड़ा करते हैं ,
धुआं बनकर पर्वतों से उड़ा करते हैं ,
ये कैंचियाँ खाक हमें उड़ने से रोकेगी ,
हम परों से नहीं हौसलों से उड़ा करते हैं|
3.मिलेगी परिंदों को मंजिल ये उनके पर बोलते हैं ,
रहते हैं कुछ लोग खामोश लेकिन उनके हुनर बोलते हैं |
4.हो के मायूस न यूं शाम से ढलते रहिये ,
ज़िन्दगी भोर है सूरज सा निकलते रहिये ,
एक ही पाँव पे ठहरोगे तो थक जाओगे ,
धीरे-धीरे ही सही राह पे चलते रहिये .
5. वो पथ क्या पथिक कुशलता क्या ,जिस पथ में बिखरें शूल न हों
नाविक की धैर्य कुशलता क्या , जब धाराएँ प्रतिकूल न हों ।
6. जब टूटने लगे होसले तो बस ये याद रखना ,बिना मेहनत के हासिल तख्तो ताज नहीं होते ,
ढूंड लेना अंधेरों में मंजिल अपनी ,जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते .
7. यह अरण्य झुरमुट जो काटे अपनी राह बना ले ,
कृत दास यह नहीं किसी का जो चाहे अपना ले
जीवन उनका नहीं युधिष्ठिर जो इससे डरते हैं,
यह उनका जो चरण रोप निर्भय होकर चलते हैं |
8. कुछ बात है की हस्ती मिटती नहीं हमारी ,
सदियों रहा है दुश्मन दौरे -जमाँ हमारा |
9.समर में घाव खाता है उसी का मान होता है,
छिपा उस वेदना में अमर बलिदान होता है,
सृजन में चोट खाता है छेनी और हथौड़ी का,
वही पाषाण मंदिर में कहीं भगवान होता है |
10.कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं ,
जीता वही जो डरा नहीं |
अगली कड़ी शीघ्र प्रकाशित की जाएगी | इस कड़ी के बारे में आपने विचार जरुर बताएं |
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